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मध्य प्रदेश में बब्बर शेर को यहां लाने के बाद वंश वृद्धि की जाएगी। शावकों को इनक्लोजर में रखकर शिकार सिखाया जाएगा। इसके बाद उन्हें श्योपुर का कूनो पालपुर नेशनल पार्क के खुले जंगलों में छोड़ा जाएगा। स्मरण रहे कि बब्बर शेरों को महामारी से बचाने के लिए वर्ष 1994 में कूनो पालपुर नेशनल पार्क का चयन हुआ था और तभी से कूनो को शेरों के लिए तैयार किया जा रहा था। वर्ष 2003 में पार्क पूरी तरह से तैयार भी हो गया है। इसके रख-रखाब और पार्क के प्रोटोकाल के हिसाब से वहां पदस्थ किए गए मैदानी अमले में करोड़ रूपए सरकार हर साल खर्च कर रही हे।
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नहीं मिले गिर के शेर
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को शेर देने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद भी गुजरात से प्रदेश को गिर के शेर नहीं मिल पा रहे हैं। इसके चलते सरकार ने इसका गुजरात जू से शेर लाने का विकल्प तैयार कर लिया है। वन विहार नेशनल पार्क में करीब 9 जोड़े शेर लाने के हिसाब से तैयार की जा रही है।
इंदौर चिड़ियाघर प्रबंधन करेगा मदद
शेरों को यहां लाने और उनके प्रबंधन के संबंध में इंदौर चिड़ियाघर से मदद ली जाएगी। दरअसल, इंदौर में शेर और बाघ की ब्रीडिंग बहुत सफल रही है। वन विभाग ने इंदौर जू से भी एक जोड़ी शेर मांगे हैं। इन शेरो को आपस में मीटिंग कराई जाएगी जीन्स किसी तरह से दिक्कत पैदा न हो।
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डॉक्टर और अधिकारी जाएंगे गुजरात
विभाग ने गुजरात से युवा शेर-शेरनी मांगे हैं। जिनकी उम्र दो से तीन साल की हो। ताकि वंश वृद्धि में सफलता मिल सके। इसके लिए वन विहार के डॉक्टर और अधिकारियों का दल गुजरात के शक्करबाग चिड़ियाघर जाएगा। मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक मध्य प्रदेश आलोक कुमार ने बताया कि गुजरात के शक्करबाग चिड़ियाघर से शेर-शेरनी लाने की सहमति मिल गई है जल्द ही प्रदेश के डॉक्टरों और वन अधिकारियों का एक दल वहीं जाकर शेर पसंद करेगा और फिर उन्हें लाकर वन विहार में रखेंगे यहां ब्रीडिंग कराएंगे।